Unmesh Gujarathi
Sprouts Exclusive

The Special Investigation Team (SIT) of ‘Sprouts’ has received shocking information that the lawyer of Mumbai Bank, Akhilesh Mayashankar Chaubey who threatened the editor of ‘Sprouts’ through a notice, is a taxchor (tax evader). Sprouts demands that the Bar Council of India and Maharashtra cancel his enrollment for bringing disrepute to the noble profession.

Mumbai Bank had recently sent a legal notice to the editor of ‘Sprouts’ through Adv. Akhilesh Mayashankar Chaubey. Chaubey is considered to be close to Pravin Darekar whose corrupt activities are well known.

Chaubey did not pay his Income tax liability of Rs 48 lakhs due to which the Income Tax Department issued a notice to Mumbai Bank on February 15, 2019, demanding that his bank account be attached.

Mumbai Bank was also ordered to deposit the amount in Chaubey’s account and be transferred to the Income Tax Department. Sprouts is in possession of a copy of the IT notice.

But, Mumbai Bank’s Chairman Darekar saved this tax cheat of a lawyer by closing the account after which he immediately opened another account with the ‘Mangal Co. Op. Bank to which the money was transferred as per reliable sources.

Sprouts Demand for inquiry:

Taxchor lawyer Akhilesh Mayashankar Chaubey has defrauded the Income Tax Department of nearly half a crore and the Government should investigate the malpractices.

Sprouts demands that after proper investigation, the Income Tax should write to the Bar council to cancel his enrolment as a lawyer for this grave financial fraud.

What is the case?

* Pravin Darekar, the highly corrupt and controversial chairman of Mumbai Bank, got his own brother elected unopposed by sidelining other worthy candidates. To achieve this he has misused the Eknath Shinde- Devendra Fadnavis government.

He has ‘managed’ the Election Authority itself and this shocking information was first brought to the notice of readers by ‘Sprouts’. The Economic Offences Wing (EOW) has also given a clean chit to a corrupt chairman like Pravin Darekar and which is a totally wrong decision.

* In Maharashtra, EOW is an investigating wing of the Mumbai Police that works under the state government. Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis has clearly misused his office to pressure the EOW to favour Darekar.

As a result, thousands of shareholders and depositors of the bank are likely to suffer huge financial losses. Some depositors of the bank have decided to go to the High Court against this arbitrary and biased decision on which Sprouts had filed a report.

* This Sprouts special report made corrupt Darekar and his camp angry after which a notice was sent to the editor of ‘Sprouts’ on behalf of Mumbai Bank and Darekar asking it to publish an apology.

A threat has also been given in the said notice that civil and criminal action will be taken if this apology is not published.

* Loot of crores of rupees in the name of the legal department, matters of the bank under which even personal cases of directors are handled by the same tax cheat of a lawyer. The bills of these personal cases are also paid by Mumbai Bank.

When the news of a scam in Mumbai bank comes into the media, cases are registered and journalists are silenced while a few friendly journalists are given ‘Packets’ to silence them.

* The corruption by the bank’s individual directors is defended at cost of the bank thus leading to a waste of crores of depositors’ hard-earned savings and which thus helps the tax cheat lawyer.

Speaking to the ‘Sprouts’ Dhananjay Shinde, spokesman for Aam Aadmi Party demands a special probe by RBI into this scam before the bank goes bust leaving thousands of common people duped of their hard-earned savings.

मुंबई बैंक का वकील टैक्सचोर

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

‘स्प्राउट्स’ (Sprouts) की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि नोटिस के जरिए ‘स्प्राउट्स’ के संपादक को धमकी देने वाला मुंबई बैंक (Mumbai Bank) का वकील अखिलेश मायाशंकर चौबे (Akhilesh Mayashankar Chaubey) टैक्सचोर (tax evader) है. स्प्राउट्स की मांग है कि समुचित जांच के बाद उक्त टैक्सचोर वकील अखिलेश मायाशंकर चौबे की कानून की डिग्री और वकील के रूप में नामांकन रद्द किया जाना चाहिए.

मुंबई बैंक ने हाल ही में ‘स्प्राउट्स’ के संपादक को कानूनी नोटिस भेजा है. लीगल फर्म एवीएस एण्ड एसोसिएट्स (AVS & Associates) द्वारा नोटिस जारी किया गया था. इस लीगल फर्म के मालिक अखिलेश मायाशंकर चौबे हैं. चौबे पेशे से वकील हैं और प्रवीण दरेकर (Praveen Darekar) के करीबी माने जाते हैं. दरेकर के भ्रष्ट कार्यों के लिए हमेशा इसकी जरुरत होती है.

चौबे टैक्स चोरी में माहिर हैं. उन्होंने सरकार को 48 लाख रुपये का टैक्स नहीं दिया. इसके चलते आयकर विभाग (Income Tax Department) ने 15 फरवरी, 2019 को मुंबई बैंक को नोटिस जारी कर कहा था कि अखिलेश मायाशंकर चौबे ने 48 लाख रुपये का टैक्स नहीं चुकाया है. इसलिए उनका बैंक खाता अटैच किया जाए. इतना ही नहीं, मुंबई बैंक को चौबे को भुगतान की जाने वाली राशि को आयकर विभाग में जमा करने का भी आदेश दिया था. स्प्राउट्स की एसआईटी के पास ऐसे सबूत हैं.

लेकिन, मुंबई बैंक के दरेकर ने इस टैक्सचोर वकील को बचाने का फैसला किया. उन्होंने इस टैक्सचोर अखिलेश मायाशंकर चौबे का मुंबई बैंक में खाता बंद कर दिया और तुरंत उसका खाता ‘मंगल को-ऑप. बैंक (Mangal Co-op. Bank) में खुलवाया गया और उसको भुगतान की जानेवाली राशि उस खाते में जमा की गई थी. विश्वस्त सूत्रों ने ऐसी संभावना जताई है.

गहन जांच की मांग :

टैक्सचोर वकील अखिलेश मायाशंकर चौबे ने आयकर विभाग और सरकार के साथ धोखाधड़ी की है. इन सभी भ्रष्टाचारों की तत्काल आयकर विभाग द्वारा गहन जांच की जानी चाहिए और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए. स्प्राउट्स की मांग है कि उचित जांच के बाद कथित अखिलेश मायाशंकर चौबे की कानून की डिग्री और वकील के तौर पर नामांकन रद्द किया जाए.

क्या है मामला?

मुंबई बैंक के अत्यधिक भ्रष्ट और विवादास्पद अध्यक्ष प्रवीण दरेकर ने अन्य योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर अपने भाई को निर्विरोध निर्वाचित करा लिया है. उसके लिए उन्होंने एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार का दुरुपयोग किया है. इतना ही नहीं, उन्होंने इलेक्शन ऑथॉरिटी (Election Authority) को भी ‘मैनेज’ किया है. ऐसी चौंकानेवाली जानकारी सबसे पहले पाठकों तक ‘स्प्राउट्स’ द्वारा पहुंचाई गई थी. इतना ही नहीं, प्रवीण दरेकर जैसे भ्रष्ट चेयरमैन को आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offenses Wing (EOW) ने क्लीन चिट दे दी है, जो सरासर गलत है.

महाराष्ट्र में ईओडब्ल्यू जांच करने वाली संस्था है जो राज्य सरकार के निर्देश पर काम करती है. खासकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) के आदेश पर ईओडब्ल्यू ने यह गलत फैसला दिया है. नतीजतन, बैंक के लाखों शेयरधारकों और जमाकर्ताओं को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस मनमाने और पक्षपातपूर्ण फैसले के खिलाफ कुछ शेयरधारक और जमाकर्ताओं ने हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है, इस प्रकार की रिपोर्ट स्प्राउट्स ने प्रकाशित की थी.

इस विशेष रिपोर्ट ने भ्रष्ट दरेकर और उनके खेमे को नाराज कर दिया. उसके बाद मुंबई बैंक और दरेकर की ओर से ‘स्प्राउट्स’ के संपादक को नोटिस भेजा गया और माफीनामा प्रकाशित करने को कहा गया. यह धमकी भी दी गई है कि अगर माफीनामा प्रकाशित नहीं किया गया तो दीवानी और फौजदारी कार्रवाई (civil and criminal action) की जाएगी.

विधि विभाग के नाम पर करोड़ों रुपये की लूट :

दरअसल मुंबई बैंक में कानूनी मामलों की आड़ में लूट की जा रही है. निदेशकों के व्यक्तिगत मामले भी इसी टैक्सचोर वकील द्वारा देखे जाते हैं. इन मामलों के बिलों का भुगतान भी मुंबई बैंक द्वारा किया जाता है. मीडिया में जब बैंक घोटाले की खबर आती है तो इसी तरह केस दर्ज कर पत्रकारों को चुप करा दिया जाता है. (कुछ पत्रकारों को ‘पैकेट’ भी दिए जाते हैं, यह धड़ा अलग है).

यदि बैंक के भ्रष्ट प्रबंधन की खबर या रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है, तो ऐसे मामलों में बैंक को एक आवश्यक पक्ष बनाया जाता है. इसी का फायदा उठाकर इस टैक्सचोर वकील चौबे को फर्जी फीस दी जाती है. इसलिए इस बैंक के कानूनी विभाग का कुल खर्च करोड़ों रुपये में जाता है. यह बैंक के शेयरधारकों और जमाकर्ताओं की गाढ़ी कमाई का दुरूपयोग है. यह लूट बंद होनी चाहिए.

मुंबै बँकेचा वकील निघाला टॅक्सचोर

उन्मेष गुजराथी
स्प्राऊट्स Exclusive

‘स्प्राऊट्स’ (Sprouts) च्या संपादकांना नोटिसीद्वारे धमकीवजा इशारा देणाऱ्या मुंबै बँकेचा (Mumbai Bank) भामटा वकील हा तर टँक्सचोर आहे, अशी धक्कादायक माहिती ‘स्प्राऊट्स’च्या इन्व्हेस्टीगेशन टीमला (एसआयटी) मिळालेली आहे. या टॅक्सचोर वकिलाची तपासाअंती ‘सनद’च रद्द करण्यात यावी, अशी मागणीही स्प्राऊट्सच्या वतीने करण्यात येणार आहे.

मुंबै बँकेने ‘स्प्राऊट्स’च्या संपादकांना नुकतीच कायदेशीर नोटीस पाठवलेली आहे. ही नोटीस एव्हीएस अँड असोसिएट्स या कायदेशीर फर्मकडून बजावण्यात आली. या कायदेशीर फर्मचे मालक आहेत अखिलेश मायाशंकर चौबे (Akhilesh Mayashankar Chubey). चौबे हे व्यवसायाने वकील व प्रवीण दरेकर (Praveen Darekar) यांचे निकटवर्तीय मानले जातात. दरेकर यांच्या भ्रष्ट कारभाराला त्यांची कायमच मोलाची लाथ असते.

चौबे हे टॅक्स चोरी करण्यात ‘प्रवीण’ मानले जातात. त्यांनी ४८ लाख रुपयांचा टॅक्स सरकारला भरलेलाच नव्हता, त्यामुळे त्यांचे बँक खाते सील (attach ) करा, अशी नोटीसही १५ फेब्रुवारी २०१९ रोजी आयकर विभागाने मुंबै बँकेला बजावलेली होती. इतकेच नव्हे तर टॅक्सचोर चौबेला मिळणारी रक्कम आयकर विभागात जमा करण्यात यावी, असा आदेशही मुंबै बँकेला देण्यात आलेला होता, अशी पुराव्यानिशी माहिती ‘स्प्राऊट्स’च्या एसआयटीच्या हाती लागलेली आहे.

मुंबै बँकेच्या दरेकरांनी मात्र या भामट्या टॅक्सचोर वकील चौबेला वाचवायचे ठरवले. त्यांनी या टॅक्सचोराचे मुंबै बँकेतील अकाउंट बंद केले. व तात्काळ ‘मंगल को. ऑप. बँके’त (Mangal Ko. Op. Bank) त्याचे खाते उघडले व पुढील रक्कम त्या खात्यात जमा केली, अशी शक्यता सूत्रांनी वर्तवलेली आहे.

सखोल चौकशीची मागणी:

टॅक्सचोर वकील आखिलेश चौबे याने आयकर विभाग व सरकारची फसवणूक केलेली आहे. या सर्व गैरव्यवहारांची आयकर विभागाने त्वरित पुन्हा सखोल चौकशी करावी व त्याच्यावर गुन्हा दाखल करण्यात यावा. त्यानंतर योग्य तपासाअंती या भामट्या टॅक्सचोर चौबे वकिलाची सनद रद्द करण्यात यावी, अशी मागणीही आम आदमी पक्षाचे प्रवक्ते धनंजय शिंदे यांनी ‘स्प्राऊट्स’शी बोलताना केली आहे. याबाबत लवकरच शिंदे संबंधित अधिकाऱ्यांना भेटणार आहेत.

काय आहे प्रकरण?

* मुंबै बँकेचे महाभ्रष्ट व वादग्रस्त चेअरमन प्रवीण दरेकर यांनी इतर लायक उमेदवारांना डावलून स्वतःच्या सख्या भावाला बिनविरोध निवडून आणले आहे. त्यासाठी त्यांनी शिंदे- फडणवीस सरकारचा गैरवापर केलेला आहे, इतकेच नव्हे तर चक्क निवडणूक प्राधिकरणालाच (Election Authority) ‘मॅनेज’ केलेले आहे. अशी धक्कादायक माहिती ‘स्प्राऊट्स’ने सर्वप्रथम वाचकांसमोर आणली. इतकेच नव्हे तर प्रवीण दरेकर यांच्यासारख्या भ्रष्ट चेअरमनला आर्थिक गुन्हे शाखेनेही (Economic Offenses Wing (EOW) क्लीनचिट दिलेली आहे. जी सर्वस्वी चुकीची आहे.

* महाराष्ट्रात EOW ही तपास यंत्रणा राज्य सरकारच्या इशाऱ्यावरून काम करत आहे. विशेषतः उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) यांच्या आदेशावरून सरकारने हा चुकीचा निर्णय दिलेला आहे. त्यामुळे बँकेच्या लाखो सभासद व ठेवीदारांचे आर्थिक नुकसान होत आहे, या मनमानी व एकतर्फी निर्णयाच्या विरोधात काही ठेवीदारांनी उच्च न्यायालयात जाण्याचा निर्णय घेतलेला आहे, अशी खळबळजनक बातमी ‘स्प्राऊट्स’ या इंग्रजी वृत्तपत्राने दिली.

* या स्पेशल बातमीमुळे भ्रष्ट दरेकर व त्यांच्या कंपूचे पित्त खवळले. त्यानंतर दरेकर व मुंबै बँकेच्यावतीने ‘स्प्राऊट्स’ला नोटीस पाठविण्यात आली व माफीनामा प्रसिद्ध करण्यास सांगितले. हा माफीनामा प्रसिद्ध न केल्यास सिव्हिल व क्रिमिनल कारवाई करण्यात येईल, असा धमकीवजा इशाराही देण्यात आला.

लीगल डिपार्टमेंटच्या नावाखाली कोट्यवधी रुपयांची लूट

* मुंबै बँकेमध्ये कायदेशीर बाबींच्या नावाखाली अक्षरश: लूट चालवलेली आहे. संचालकांच्या वैयक्तिक केसेसही याच टॅक्सचोर वकिलार्फत चालवलेल्या जातात. या केसेसची बिलेही मुंबै बँकच भरते. बँकेच्या महाघोटाळ्याची बातमी मीडियामध्ये आली की, अशाच पद्धतीने केसेस टाकून पत्रकारांना गप्प केले जाते. (काही मोजक्या पत्रकारांना ‘पाकिटे’ही दिली जातात, हा भाग वेगळा )

* बँकेच्या भ्रष्ट कारभाराची तक्रार केली तर बँकेला त्या केसेसमध्ये Necessary Party केले जाते. याचाच फायदा घेवून या टँक्सचोर चौबे वकिलाला अवास्तव फी दिली जाते. त्यामुळे या बँकेच्या लीगल डिपार्टमेंटचा एकूण खर्च हा कोट्यवधी रुपयांच्या घरात जातो. बँकेच्या सभासद व ठेवीदारांच्या कष्टाच्या पैशाचा हा दुरुपयोग आहे. ही लूट बंद होणे आवश्यक आहे.

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