उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स Esclusive
प्रवीण दरेकर मुंबई बैंक के अध्यक्ष और विधान परिषद में भाजपा के विधायक हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बैंक में करोड़ों रुपये का घोटाला कर बैंक के लाखों शेयरधारकों और जमाकर्ताओं को ठगा है. लेकिन फिर भी, हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने क्लीन चिट दे दी है.
आर्थिक अपराध शाखा द्वारा लिया गया यह निर्णय उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आदेश पर लिया है. इससे बैंक के शेयरधारकों और जमाकर्ताओं को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हो रहा है और बैंक के डूबने के संकेत मिल रहे हैं. इसलिए यह निर्णय पूरी तरह से गलत, एकतरफा और मनमाना है. बैंक की लेबर को-ऑपरेटिव सोसाइटी के प्रतिनिधि येल्लप्पा सी. कुशालकर और उनके साथ बैंक के सैकड़ों शेयरधारकों और जमाकर्ताओं ने ‘स्प्राउट्स’ से बात करते हुए कहा कि वे इस निर्णय को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती देने जा रहे हैं.
प्रवीण दरेकर पिछले 22 वर्षों से मुंबई बैंक के अध्यक्ष एवं निदेशक हैं. इस दौरान उन्होंने करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया है. मुंबई उच्च न्यायायलय ने बार-बार उनकी खिंचाई की है. तत्कालीन बीजेपी नेता विनोद तावडे और आशीष शेलार ने तत्कालीन कांग्रेस- एनसीपी सरकार से दरेकर को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की थी. लेकिन 2014 में देवेंद्र फडणवीस सत्ता में आए और दरेकर अन्य भ्रष्ट नेताओं की तरह भाजपा में शामिल हो गए. फडणवीस ने इस भ्रष्ट नेता का राजनीतिक शुद्धिकरण किया. इतना ही नहीं, निष्ठावान बीजेपी समर्थकों को दरकिनार कर, प्रवीण दरेकर को पिछले दरवाजे से विधायक बनाकर विधान परिषद भेजा गया. उसके बाद उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद दिया गया.
महाराष्ट्र में फडणवीस ने आर्थिक अपराध शाखा का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है. इसलिए, इस शाखा का इस्तेमाल राजनीतिक बदले के लिए किया जा रहा है. तदनुसार, आर्थिक अपराध शाखा भी इन आर्थिक अपराधियों को क्लीन चिट दे रही है यदि वे फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा में शामिल होते हैं. दरेकर फिलहाल फडणवीस के पक्षधर हैं. इसलिए चार्जशीट से दर्जनों अन्य भ्रष्ट निदेशकों के साथ दरेकर का नाम भी हटा दिया गया है. इन निदेशकों में प्रवीण दरेकर के साथ प्रसाद लाड, शिवाजी नलावडे, नंदकुमार काटकर, सिद्धार्थ कांबले शामिल हैं.
क्या है मामला?
प्रवीण दरेकर 2000 से मुंबई बैंक के निदेशक थे. वह 2010 से बैंक के अध्यक्ष भी हैं. 2015 में, मुंबई बैंक की कांदिवली, ठाकुर गांव, दामूनगर और अंधेरी पूर्व शाखाओं में फर्जी ऋणों का खुलासा हुआ था. इस घोटाले के सिलसिले में विवेकानंद गुप्ता की शिकायत पर प्रवीण दरेकर, शिवाजी नलावडे और राजा नलावडे के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे. ये मामले 1998 से 123 करोड़ रुपये के घोटाले के सिलसिले में दर्ज किये गए थे. इसके बाद मामला आर्थिक अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा मामले की जांच कर रही थी. आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दायर चार्जशीट में दस श्रमिक संगठनों को आरोपी बनाया गया है. लेकिन, दरेकर और अन्य निदेशकों की संलिप्तता के संबंध में कोई सबूत नहीं मिला, कहा गया है.
“बाजीराव शिंदे, संयुक्त रजिस्ट्रार सहकारी संस्था (मुंबई) मंडल, इलेक्टोरल रिटर्निंग ऑफिसर एवं रजिस्ट्रार कैलास झेबले और इलेक्टोरल रिटर्निंग ऑफिसर और डिप्टी रजिस्ट्रार (डीडीआर) शिरीष कुलकर्णी ने प्रवीण और प्रकाश दरेकर की अवैध चुनाव प्रक्रिया में सहयोग किया है. हम हाईकोर्ट, कैग, ईडी, सीबीआई जैसी सरकारी एजेंसियों से मांग करेंगे कि इन सभी की पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए.”
येलप्पा सी. कुशालकर,
प्रतिनिधि, लेबर को-ऑपरेटिव सोसाइटी,
शेयरधारक और जमाकर्ता, मुंबई बैंक