उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स ब्रांड स्टोरी
महाराष्ट्र में 60,000 से अधिक आयुर्वेदिक डॉक्टर (Ayurvedic doctors) हैं, जिन्हें महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (Maharashtra Council of Indian Medicine (MCIM) के साथ अपना पंजीकरण कराना आवश्यक होता है. एमसीआईएम एक निश्चित राशि का शुल्क लेने के बाद पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करता है. 2019 में डॉक्टरों को नये रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया और उनसे हजारों रुपयों की फीस वसूली गई.
हालांकि लगभग 3 साल बीत जाने के बाद भी डॉक्टरों को पंजीकरण प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है जिसके कारण निराश डॉक्टर एमसीआईएम रजिस्ट्रार डॉ. दिलीप वांगे (Dr. Dilip Wange) के एजेंटों को भारी रिश्वत देकर प्रमाण पत्र ले रहे हैं. आखिरकार डॉ. वांगे और उनके साथी करोड़ों रुपए बटोर रहे हैं. लेकिन कोई भी आवाज उठाने को तैयार नहीं है.
डॉ वांगे पंजीकरण के साथ-साथ पंजीकरण के नवीनीकरण में देरी करते हैं. रिश्वत देने वालों को तत्काल प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है. इसके अलावा जिन लोगों को पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी किए गए, उनमें गंभीर गलतियां पाई गईं. ऐसे गलत प्रमाणपत्रों की संख्या हजारों में है. लेकिन शिकायत करने की हिम्मत कोई नहीं करता.
करोड़ों रुपये खर्च कर रजिस्ट्रेशन के लिए नया सॉफ्टवेयर लगाने का ठेका दिया गया था. हालांकि यह सॉफ़्टवेयर विफल हो गया है और प्रमाणपत्रों में बहुत सारी गलतियां हैं. प्रमाणपत्रों में गलतियों के कारण, डॉक्टरों को गलतियों को सुधारने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है और डॉ. वांगे के एजेंटों को रिश्वत भी देनी पड़ती है.