उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव
डालडा (Dalda), देसी घी का एक मिलावटी रूप है, जिसमें फैटी एसिड्स (fatty acids) होते हैं, जो हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Limited) द्वारा युगों से उपभोक्ताओं के खाने के लिए बनाया जा रहा है, शरीर के चयापचय (metabolism) को प्रभावित करने वाला बेहद हानिकारक साबित हुआ है, जिससे हृदय रोग (heart diseases) सहित कई बीमारियां होती हैं. अन्य कई विकल्प हैं और उनमें सबसे अच्छा देसी घी है.
डालडा का 40 साल से अधिक समय का एकाधिकार लगभग खत्म हो गया है और अब समय आ गया है कि इसे पूरी तरह से बाजार से बाहर कर दिया जाए क्योंकि यह देसी घी की नकल करता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है.
यहां एक और उदाहरण है जिसमें भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अस्वास्थ्यकर खाद्य (unhealthy food) बनाकर बेचा गया था, जैसेकि गुड़ के विकल्प के रूप में चीनी ने भारतीय घरों में अपना रास्ता बना लिया. हम डालडा के बारे में बात कर रहे हैं, एक ऐसा ब्रांड जिसे शुरुआत में हिंदुस्तान यूनिलीवर ने स्वतंत्रता-पूर्व युग से नब्बे के दशक में अच्छी तरह से आगे बढ़ाया था, इससे पहले कि यह रिफाइंड तेल क्षेत्र में प्रतियोगियों से हार जाता, जिससे अमेरिकी प्रमुख बंज (American major Bunge) को लॉन्च करने और ब्रांड को प्रोमोट करने के लिए एक नया रास्ता मिल गया.
डालडा वास्तव में आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल (hydrogenated vegetable oil) है. यह याद होना चाहिए कि शुरुआत में, 1930 के दशक के अंत में, डालडा मूल्य निर्धारण, स्वाद और स्थायित्व के मामले में देसी घी पर बढ़त बनाए रखने के बावजूद घरेलू भारतीय बाजारों में कोई महत्वपूर्ण पैठ बनाने में विफल रहा. इसके बाद, उन्होंने डालडा को उन माताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले स्वास्थ्य पूरक के रूप में प्रचारित किया जो अपने बच्चों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं की देखभाल करती हैं. कहने की जरूरत नहीं है कि मांओं को यह सोचने पर मजबूर किया गया था कि उनके बढ़ते बच्चों के लिए विटामिन और अन्य पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए यह सही चीज थी.
खैर, इससे पहले कि हम दशकों से इस ब्रांड की किस्मत के बारे में बात करें, जिसमें इसका उत्थान, गिरावट और वृद्धि शामिल है. स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (Sprouts’ Special Investigation Team) इस बात पर प्रकाश डालना चाहती है कि यह ब्रांड सभी आयु समूहों के लोगों के स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है और इसका नियमित उपयोग किया जाता है तो यह कितना नुकसानदेह हो सकता है. आनुषांगिक क्षति में सामान्य रूप में ज्ञात कार्डियोवास्कुलर बीमारियां (cardiovascular ailments) या हृदय रोग भी शामिल हैं. यह भी ज्ञात है कि इसमें उच्च मात्रा में ट्रांस वसा (trans fats) होते हैं जो मानव शरीर के चयापचय के लिए बेहद हानिकारक होते हैं.